मिठाई खाते बच्चे |
दीपावली हर सभी के लिए ख़ास होता है| ख़ास कर हिन्दू धर्मावलम्बियो का
यह एक विशेष पर्व त्यौहार के रूप में जाना जाता है| इस पर्व की अपनी अलग पहचान और
विशेषता है| चलन के अनुशार इस पर्व को मनाने वाले अपने घर परिवार और बच्चो के लिए मिठाई
कपडे और साजो सामान की खरीददारी करते है|
“गाँधी के शब्दों को देखे तो उन्होंने कहा था की तुम्हे जब भी कोई संदेह
हो उसे मिटाने के लिए मै तुम्हे एक जंतर देता हूँ| उसे पढ़ते हुए देखना की तुम्हारा
संदेह मिट जायेगा और तुम हमेशा सही रास्ते पर चल पाओगे”
क्या आज भी हमारा समाज संदेह के भवर में फसा हुआ है? या फिर जीवन से
मनुष्यता समाप्त कर सिर्फ भाग दौड़ में जिए जा रहा है|
कबीर के शब्द कहते है|
साईं इतना दीजिये, जा में कुटुम समाय|
मै भी भूखा ना रहूँ, साधू भी भूखा न जाए|
अर्थात ईश्वर से यही प्रार्थना है की हे ईश्वर हमें इतना दो की उसमे
सभी समाहित हो जाए, मै भी भोजन कर सकू और साधू अर्थात मेरे पास पड़ोस के सभी खुशहाल
हो सके|
स्वार्थ वस् इन्सान आज सपने सामाजिक ताना - बाना को तोड़ते हुए एक एकांक
समाज की ओर अग्रसर है| और संवेदनशीलता समाप्त होते जा रही है|
गाँधी के विचारो से प्रेरित संग्राम परिवार ने समाज के अति वंचित
तबके बिरहोर जनजाति समुदाय के बच्चो के साथ दिवाली की खुशियां बाटी| आप का सहयोग और समर्थन यह सब
करने के लिए हमें प्रेरित करता है और आपसे मिलने वाले दान का सार्थक उपयोग होता है
तो आप सबो के बीच यह बताना आपको और हमें एक प्रेम सूत्र से जोड़ता है जो शांति को
अनुभूति की ओर ले जाता है|
'संग्राम' टीम द्वारा आज से 8 वर्ष पूर्व झारखण्ड के कोडरमा जिले के डोमचांच प्रखंड के
जियोरायडीह गाँव में दिवाली की हालत देखने गई थी और जो हमने देखा था दिवाली की रात वह आप भी देख
सकते है| तब उस गाँव की हालात कुछ ऐसी ही थी| लोगो के आवास नहीं थे, भूख का रिश्ता
तो सभी का होता है परन्तु इस समुदाय से विशेष रूप से था| इन्हें राशनकार्ड नहीं था|
इत्यादि काफी समस्याएं मौजूद थी| हमारी टीम के लगातर मेहनत से आज इनके पास एक घर
है और सभी के पास राशन कार्ड है, आवास है, परन्तु हम अपने प्रयास को निरंतर बनाये रखे
है| जिसमे आप सभी का सहयोग हमें लगातार प्रेरित कर रहा है|
'संग्राम' टीम द्वारा इस दिवाली के अवसर पर आप सभी के द्वारा प्राप्त सहयोग से हमने वहा के बच्चो के बिच मिठाई के साथ खुशियां बांटी| यह ख़ुशी हमारे साथ दानदाता के लिए भी अहम् था| हमें जिनका सहयोग प्राप्त हुआ था| हमने इस ख़ुशी की पूरी रिपोर्ट अपने दानदाता तक पहुचाया| हम एक माध्यम बने परन्तु असली ख़ुशी के हकदार हमारे दाता है| जो इसके लिए दान दिया और मानवता की एक परिदृश्य बनाया| हम उनके आभारी है|
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